Principal’s Message

आचार्य-सन्देश

प्राचीन भारत की वैदिक आर्ष प्रज्ञा ने मानव की उन्नत मेधा को जागृत कर जीवन की समस्याओं का सहज समाधान प्रस्तुत किया है। वैदिक काल में उत्कृष्ट मानव निर्माण हेतु जिस शिक्षा पद्धति का निर्देश किया गया है- वह है गुरुकुल शिक्षा पद्धति। शिक्षा पद्धति के उसी आदर्श को समक्ष रखकर बालिकाओं के जीवन का निर्माण करना ‘श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, चोटीपुरा’ का उद्देश्य है। गुरुकुल के सात्विक वातावरण में सबल, सक्षम, सुशिक्षित, आत्मविश्वासी, मर्यादित, ब्रह्म व क्षत्र दोनों ही सामर्थ्यो से परिपूर्ण बालिकाओं का निर्माण करना हमारा ध्येय है। युगद्रष्टा महर्षि दयानन्द सरस्वती ने बालिकाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए क्रान्तिकारी पहल की। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में बालक-बालिकाओं को समान रूप से शिक्षित करने के लिए गुरुकुल पद्धति का निर्देश किया और उनके अनन्य भक्त स्वामी श्रद्धानन्द ने हरिद्वार में वर्तमान युग के प्रथम गुरुकुल की स्थापना करके उनके स्वप्न को साकार किया। उसी परम्परा को परिवर्द्धित करने का सत्प्रयास है- यह ‘कन्या गुरुकुल चोटीपुरा ।

भारत धरा के चिरंतन मूल्यों से विद्यार्थी का परिचय अत्यावश्यक है। यह उसके विद्यार्जन को समृद्ध व ठोस बनाता है। अतः वैदिक आदर्शो के आलोक में देश की भावी पीढ़ी का निर्माण अधीत ज्ञान की उपयोगिता को नए आयाम देगा। इसी विश्वास के साथ सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।

-आचार्या डॉ सुमेधा

मुख्य अधिष्ठात्री एवं प्राचार्या