ABOUT

SHrimad dayanand KANYA gurukul chotipura

Gurukul is a living embodiment of vedic principles and Indian culture. It is a center fit for academic pursuits and harmonious development of the individual. It is spread over 10-acre tract of level land in the lap of uncontaminated natural lush green surroundings and far from the city crowds. Situated in silent, serene and dust-free solitudes. It is very important to have a perfect calm and peaceful environment for students for studies. Principal Dr. Sumedha believes that this environment has a major role to play for our students in achieving success in st lies, sports and in character building. It also motivates the students to achieve their defined goals.
Discreetly synthesizing ancient ideals with recent advancements, this Institute of higher learning is guided by the Gurukul system elaborated by Maharshi Dayanand Saraswati and is making rapid strides towards the goals set before it.

The Beginnings

It was the 6th of March, 1988 when this Gurukul made a modest beginning in the vicinity of a tiny hamlet, Chotipura which falls in the district of Amroha in the state of Uttar Pradesh.

Principal’s Message

आचार्य-सन्देश

प्राचीन भारत की वैदिक आर्ष प्रज्ञा ने मानव की उन्नत मेधा को जागृत कर जीवन की समस्याओं का सहज समाधान प्रस्तुत किया है। वैदिक काल में उत्कृष्ट मानव निर्माण हेतु जिस शिक्षा पद्धति का निर्देश किया गया है- वह है गुरुकुल शिक्षा पद्धति। शिक्षा पद्धति के उसी आदर्श को समक्ष रखकर बालिकाओं के जीवन का निर्माण करना ‘श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, चोटीपुरा’ का उद्देश्य है। गुरुकुल के सात्विक वातावरण में सबल, सक्षम, सुशिक्षित, आत्मविश्वासी, मर्यादित, ब्रह्म व क्षत्र दोनों ही सामर्थ्यो से परिपूर्ण बालिकाओं का निर्माण करना हमारा ध्येय है। युगद्रष्टा महर्षि दयानन्द सरस्वती ने बालिकाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए क्रान्तिकारी पहल की। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश में बालक-बालिकाओं को समान रूप से शिक्षित करने के लिए गुरुकुल पद्धति का निर्देश किया और उनके अनन्य भक्त स्वामी श्रद्धानन्द ने हरिद्वार में वर्तमान युग के प्रथम गुरुकुल की स्थापना करके उनके स्वप्न को साकार किया। उसी परम्परा को परिवर्द्धित करने का सत्प्रयास है- यह ‘कन्या गुरुकुल चोटीपुरा ।

भारत धरा के चिरंतन मूल्यों से विद्यार्थी का परिचय अत्यावश्यक है। यह उसके विद्यार्जन को समृद्ध व ठोस बनाता है। अतः वैदिक आदर्शो के आलोक में देश की भावी पीढ़ी का निर्माण अधीत ज्ञान की उपयोगिता को नए आयाम देगा। इसी विश्वास के साथ सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।

-आचार्या डॉ सुमेधा

मुख्य अधिष्ठात्री एवं प्राचार्या